जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर बाला
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन ख़ुशी मन में
प्रकट भये सुर वानर तन में, विदित यस विक्रम त्रिभुवन में
दूध पीवत स्तन मात के, नज़र गई नभ ओर
तब जननी की गोद से पहुंचे, उदयाचल पर भोर
अरुण फल लखी रवि मुख डाला
कृपा कर सालासर बाला
तिमिर भूमंडल में छाई, चिबुक पर इन्द्र ब्रज बाए
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाए
उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास
इधर हो गयो अन्धकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास
भये ब्रम्हादिक बेहाला कृपा कर सालासर बाला
जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर बाला
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